Chemistry Crux: Master NEET Chemistry

schrödinger and heisenberg 100% Useful

schrödinger and heisenberg 100% Useful.बोहर के अनुसार इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर एक निश्चित कक्ष में घूमते हैं। इसलिये स्थिति तथा संवेग को साथ-साथ ज्ञात करना सम्भव है।

schrödinger and heisenberg 100% True

 
हिसेनबर्ग का अनिश्चितता का नियम (HEISENBERG’S UNCERTAINTY PRINCIPLE)

What is the Heisenberg uncertainty principle of Bohr?

इलेक्ट्रॉन की स्थिति को ज्ञात करने के लिये हमें इलेक्ट्रॉन की विभा से कम विभाऐं (Dimensions) वाली तरंग दैर्ध्य को प्रवाहित करना पड़ेगा फिर उसके पश्चात् उस प्रकाश को परावर्तन के बाद उपयुक्त यंत्र का प्रयोग करना पड़ेगा। इस प्रकार की कम तरंग दैर्ध्य वाले प्रकाश की ऊर्जा अधिक होती है।
इस प्रकार की उच्च ऊर्जा वाले फोटोन की टक्कर के कारण इलेक्ट्रॉन स्वतः है ही ऊर्जा ग्रहण कर लेता है जिसके कारण वेग एकदम से बढ़ जाता है तथा उसकी स्थिति परिवर्तित हो जाती है तथा उसकी सही स्थिति का पता नहीं चलता।
हमने यह भी देखा है कि इलेक्ट्रॉन कण तथा तरंग दोनों की व्यवहार करते हैं। हेसनबर्ग ने 1926 में एक सिद्धान्त प्रतिपादित किया जिसको अनिश्चितता का सिद्धान्त (Uncertainty Principle) कहते हैं जिसके आधार पर हम कण तथा तरंग का आपसी सम्बन्ध ज्ञात कर सकते हैं। इस नियम के अनुसार किसी इलेक्ट्रॉन या दूसरे छोटे कणों की स्थिति तथा संवेग को सही और एक साथ ज्ञात करना असम्भव सा है ।
इस प्रकार जब कोई इलेक्ट्रॉन कण की तरह व्यवहार करता है तो उसकी स्थिति काफी हद तक ज्ञात की जा सकती है लेकिन उसके संवेग के विषय में कोई निश्चितता नहीं है। इसी प्रकार से जब इलेक्ट्रॉन तरंग की तरह व्यवहार करता है तो संवेग को तो ज्ञात कर सकते हैं किन्तु उसकी स्थति के विषय में कोई निश्चितता नहीं होगी । यदि Ax अनिश्चितता है स्थिति के सम्बन्ध में तथा Ap अनिश्चतता है संवेग के सम्बन्ध में तो अनिश्चितता के सिद्धान्त को निम्न रूप से दर्शा सकते हैं।
हेसिनबर्ग हेसिनबर्ग ने यह दर्शाया कि Ax तथा Ap का गुणनफल कभी भी h/4 से छोटा नहीं हो सकता। इस बात से यह स्पष्ट होता है कि यदि Ax बहुत छोटा हो तो Ap बड़ा हो जायेगा अर्थात् अनिश्चितता संवेग के सम्बन्ध में बड़ी होगी। यदि Ap छोटा होगा तो Ax बड़ा होगा तथा अनिश्चितता स्थिति के सम्बन्ध में बडी हो जायेगी।

schrödinger and heisenberg 100% True

स्थिति और संवेग की तरह अन्य गुणों के युग्म जैसे -ऊर्जा समय, भी एक साथ ज्ञात नहीं हो सकते । मैकरोस्कोपिक कणों के लिये इस सिद्धान्त की कोई उपयोगिता नहीं है । यह सिद्धान्त बड़ी वस्तुओं के लिये उपेक्षणीय है । इसकी उपयोगिता छोटे कण जैसे इलेक्ट्रॉन आदि के लिये है। उदाहरणार्थ-लोहे की गेंद जो गति में हों तथा जिसका भार 500 ग्रा० है उसके लिये अनिश्चितता का व्यंजक होगा- हेसिनबर्ग यह बहुत छोटा मान है इसलिये उपेक्षणीय है। इसलिये अनिश्चितता की कोई उपयोगिता नहीं है। यह प्रसम्भाव्यता का विचार (Idea of Probability) उत्पन्न करता है तथा निश्चित कक्ष वाला बोहर का विचार इसका विरोध करता है।
प्रायः डी-बोगली समीकरण तथा हिसेनबर्ग का अनिश्चितता सिद्धान्त दोनों ही उन पिण्डों (Bodies) के लिये उपयोगी है जो गति में हो किन्तु वे परमाणुवीय तथा उपपरमाणुवीय (Atomic and Subatomic) कणों के लिये ही उपयोगी हैं। यह बहुत छोटा मान है इसलिये उपेक्षणीय है। इसलिये अनिश्चितता की कोई उपयोगिता नहीं है। यह प्रसम्भाव्यता का विचार (Idea of Probability) उत्पन्न करता है तथा निश्चित कक्ष वाला बोहर का विचार इसका विरोध करता है।

schrödinger and heisenberg 100% True

प्रायः डी-बोगली समीकरण तथा हिसेनबर्ग का अनिश्चितता सिद्धान्त दोनों ही उन पिण्डों (Bodies) के लिये उपयोगी है जो गति में हो किन्तु वे परमाणुवीय तथा उपपरमाणुवीय (Atomic and Subatomic) कणों के लिये ही उपयोगी हैं।
इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि अनिश्चितता के सिद्धान्त के कारण निश्चित गति से घूमने वाले इलेक्ट्रॉन की गति सही ज्ञात नहीं की जा सकती जबकि दिये गये समय में किसी इलेक्टॉन की प्रस्मभावयता (Probability) को बताना सम्भव है । ये प्रस्मभावयता शोरडिन्जर तरंग समीकरण (Schrodinger Wave Equation) द्वारा दर्शायी गयी है।
हेसिनबर्ग
हेसिनबर्ग
नाभिक के चारों ओर का वह स्थान जहाँ इलेक्ट्रॉनों के मिलने की सम्भावना सबसे अधिक होती है, उसे परमाणुवीय कक्षक (Atomic Orbital) कहते हैं जो विभिन्न प्रकार के होते हैं तथा प्रत्येक कक्षक एक निश्चित ऊर्जा होती है ।
कक्षक, नाभिक के जितना समीप होगा उसकी ऊर्जा उतनी ही कम होगी क्योंकि इलेक्टॉन नाभिक से अधिक प्रबलता से आकर्षित होगें। ऊर्जा में वह परिवर्तन जब कोई इलेक्ट्रॉन एक कक्षक से दूसरे कक्षक में जाता है क्वान्टाइस्ड (Quantized) हो जाता है।

schrödinger and heisenberg 100% True

शोरडिन्जर की तरंग समीकरण (SCHRODINGER WAVE EQUATION) P-17 सन् 1929 में शोरडिन्जर तथा डब्लू हिसेनबर्ग ने एक नयी यांत्रिकी की नींव रखी जो पदार्थ की तुरंग कण-द्वैती प्रवृति (Wave-Particle Quality of Matter) को दर्शाता है। शोरडिन्जर समीकरण को निम्न रूप से दर्शा सकते हैं- SCHRODINGER WAVE EQUATION इस समीकरण का अर्थ है कि कोई घूमती हुयी वस्तु (Moving Body) जिसका द्रव्यमान m है, जिसकी कुल ऊर्जा E तथा स्थितिज उर्जा V है एक तरंग से सम्बन्धित है जिसका आयाम (Amplitude) ♛ है। 2 द्वारा दर्शाया गया है, इसको लैपलेसियन आपरेटर (Laplacian Operator) कहते हैं।
♛ के मान को तरंग फलन अभिलक्षण (Characterstic Wave Function) कहते हैं तथा इससे सम्बन्धित ऊर्जा को तन्त्र की आइगन (Eigen) मान कहते हैं। किसी इलेक्ट्रॉन के लिये आइगन फलन (Eigen Function) को परमाणुवीय कक्षक (Atomic Orbital) कहते हैं ।
भौतिक रूप में यह नाभिक के चारों ओर, तृतीय विभीय अंतराल (Three-Dimensional Space) में निश्चित क्षेत्र को दर्शाता है जहाँ पर इलेक्ट्रॉन मिलने की सम्भावना अधिक होती है।

schrödinger and heisenberg 100% True

तरंग समीकरण, परमाणु (हाइड्रोजन को छोड़कर) तथा अणु दोनों के लिये मान्य है जब हम इस समीकरण को हल करते हैं तो हमें अंतराल के वे क्षेत्र मिलते हैं जहाँ पर ♛ धनात्मक तथा ऋणात्मक दोनों होता है किन्तु प्रसंभाव्यता (Probability) कभी ऋणात्मक नहीं होती ।
इसे धनात्मक होना चाहिये इसलिये हम ♛ के स्थान पर 2 प्रयोग करते हैं। – प्रसम्भाव्यता फलन है तथा छोटे स्थान में इलेक्ट्रानों के मिलने की सम्भावना व्यक्त करता है।

schrödinger and heisenberg 100% True

क्योंकि तेज गति से घुमने वाले इलेक्ट्रॉन तरंग की तरह व्यवहार करते हैं। (प्रकाश तरंग के समान) तो यह भी माना जाता है कि 2 कण घनत्व (Particle Density) का मान भी दर्शायेगा। कण घनत्व का कोई भी अर्थ नहीं होता यदि तरंग में केवल एक इलेक्ट्रॉन हो । अतः किसी बिन्दु पर इलेक्ट्रॉन के मिलने की सम्भावना ५ द्वारा दर्शायी जा सकती है|

ch4 molecular mass, molecular mass of water & co2 molecular mass right now

bsc chemistry

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top