quantum numbers chemistry 100% useful. परमाणु में प्रत्येक इलेक्ट्रॉन 4 क्वान्टम संख्याओं का समूह होता है जो उसकी ऊर्जा, अभिविन्यास (Orientation) तथा दूसरे इलेक्ट्रॉन से सम्भावित क्रिया को दर्शाता है ।
quantum numbers chemistry 100% useful
क्वान्टम संख्यायें (QUANTUM NUMBERS)
ये हैं-
(अ) मुख्य क्वान्टम संख्या [ (Principal Quantum Number (n) ] –
इस क्वान्टम संख्या को बोहर ने प्रतिपादित किया था। यह ‘n’ द्वारा दर्शाया जाता है । शून्य को छोड़कर उसका कोई भी समाकल मान (Integral Value) हो सकता है तथा ये उस मुख्य ऊर्जा स्तर को दर्शाता है जिसका वह इलेक्ट्रॉन होता है । इस प्रकार से n = है कि इलेक्ट्रॉन 1, 2, 3…. किस ऊर्जा स्तर पर है।
उदाहरणार्थ पहले ऊर्जा स्तर (K-Shell या K-कोश) के लिये n = 1, दूसरे ऊर्जा स्तर 1, 2, 3, 4…. आदि हो सकता है परन्तु ये इस बात पर निर्भर करता -कोश) के लिये n = 2 तथा तीसरे ऊर्जा स्तर (m-कोश) के लिये n = 3…. आदि ।
मुख्य क्वान्टम संख्या (n), कक्ष के साइज तथा ऊर्जा (L के विषय में बताती हैं। जैसे-जैसे n का मान बढ़ता है तो इलेक्ट्रॉन के कक्ष (अर्थात् कक्षक का प्रभावी आयतन) का साइज तथा उसकी ऊर्जा का मान भी बढ़ता है ।
इस प्रकार से जितना n का मान उच्च होगा, उतना ही बड़ा कक्षक का साइज या इलेक्ट्रॉन मेघ (Electron Cloud) का साइज बड़ा होगा। क्योंकि इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा, कक्षक के साइज पर निर्भर करती है, इसलिये मुख्य क्वान्टम संख्या इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा को प्रदर्शित करती है। नाभिक से इलेक्ट्रॉन की दूरी को भी मुख्य क्वान्टम संख्या दर्शाती है।
(ब) द्वितीयक क्वान्टम संख्या [Azimuthal Quantum Number (1) ] –
इस क्वान्टम संख्या को कोणीय संवेग क्वान्टम संख्या (Angular Momentum Quantum Number) भी कहते हैं क्योंकि ये नाभिक के चारों ओर उपस्थित इलेक्ट्रॉन मेघों के वितरण तथा इलेक्ट्रॉन के कोणीय संवेग (अर्थात कक्षक का आकार) के विषय में बताती है। इसको 1 द्वारा दर्शाया जा सकता है।
के प्रत्येक मान के आधार पर द्वितीयक क्वान्टम संख्या के ‘1’ सम्भावित मान हो सकते हैं (अर्थात 1 = 0, 1, 2, 3…..(n-1)। यह संख्या इलेक्ट्रॉन के कोणीय संवेग से सम्बन्धित ऊर्जा को भी बताती अथवा ज्ञात करती है अर्थात यह क्वान्टम संख्या मुख्य कोश (Principal Shell) में उपस्थित उप स्तरों (Sub Levels) अथवा उपकोशों (Sub-Shells) को दर्शाती है।
जैसे की हमने उपर्युक्त कथन में देखा कि यह संख्या (1) इलेक्ट्रॉन के आकार (Shape) को (इलेक्ट्रॉन मैघ) ज्ञात करती है अर्थात यह बताती है कि मेघ गोलाकार है, डम्ब बेल के आकर का है या उसका कोई अन्य आकार हैं। विभिन्न उपकोशों को s, p, d, f द्वारा दर्शाया जाता है। विभिन्न उपकोशों (Sub-Shells) को 1 के मान जैसे 1= 0, 1, 2, 3 के आधार पर दर्शाया गया है।
quantum numbers chemistry 100% useful
उदाहरण के लिये जब n = 1, है तो 1 = 0 तथा केवल एक ‘s’ उपकोश उपस्थित होगी। इससे यह प्रदर्शित होता है कि n= वाले इलेक्ट्रॉन को पहली मुख्य ऊर्जा स्तर की s उपकोश में रखा जा सकता है।
यदि n = 2 है तो ‘1’ का मान 0 तथा 1 होगा। यह संकेत करता है कि इसमें s तथा p दो उपकोश होंगे। इस प्रकार से n = 2 वाले इलेक्ट्रॉन दूसरी मुख्य ऊर्जा स्तर ( Second Principal Energy Level) के या तो s – उपकोश में या p-उपकोश में पाये जा सकते हैं।
इलेक्ट्रोन ” उपकोश में होंगे, यदि 1=0 है इसी प्रकार इलेक्ट्रॉन p-उपकोश में होगें यदि 1 = 1 हैं (ये उपकोश दूसरी मुख्य ऊर्जा स्तर के होंगे)। यदि n = 3 है तो 1 के मान 0, 1 तथा 2 होगें। इस प्रकार से s, P, तथा d उपकोश होगें। यदि n = 4 है तो 1 के मान 0, 1, 2, 3 होगें। इस प्रकार से s, p, d, f उपकोश होगें । 1 तथा n के बड़े मानों के लिये चिन्ह अंग्रेजी के क्रम में होंगे-
s, p, d, f-Sharp, Principal, Diffuse तथा Fundamental शब्दों के पहले अक्षर से लिये गये हैं । किसी की मूल अवस्था (Ground State) अथवा निम्नतम ऊर्जा स्तर (Lowest Energy State) में इलेक्ट्रानों के लिये प्रायः1=3 से अधिक मीन प्रयोग में नहीं लाया जाता है ।
यह बात स्पष्ट है कि किसी इलेक्ट्रॉन के लिये यदि n = 2 तथा 1 = 1 है तो इसका अर्थ है कि इलेक्ट्रॉन 2p-कक्षक का है। यदि n=3 और1 = 0 है तो इसका अर्थ है कि इलेक्ट्रॉन 3s-कक्षक का है। यदि n = 3 और 1 = 2 है तो इसका अर्थ है कि इलेक्ट्रॉन 3d – कक्षक का है । इस प्रकार से प्रत्येक कोश में इलेक्ट्रॉन की अधिकतम संख्या 2n2 द्वारा दर्शायी जाती है।
अत: K, L, M तथा N कोशों में उपस्थित अधिकतम इलेक्ट्रॉनों की संख्या 2×12=2, 2×22=8, 2×32=18, 2×42 = 32, होगी । इलेक्ट्रॉनों की वह अधिकतम संख्या जो विभिन्न कोशों में आ सकती हो निम्न सारणी में दी गयी है। हमें यह ध्यान रखना चाहिये कि वह कक्षक जिसमें 1 = 0 हो, s-कक्षक होता है ।
quantum numbers chemistry 100% useful
जो आकार में वृताकार होता है; 1 = 1, p-कक्षक को दर्शाता है जो डम्ब बेल (Dumb-bell) के आकार की होती है । वह कक्षक जिसमें 1 = 2 होता है, d-कक्षक कहलाता है जो डबल डम्ब बेल (Double Dumb Bell) के आकार का होता है।1=3 एक बहुत ही जटिल आकार को प्रदर्शित करता है। जिसको कक्षक कहते हैं। हमें यह भी ध्यान रखना चाहिये कि 1 का
मान मुख्य क्वान्टम n संख्या द्वारा नियंत्रित होता है ।
इसका यह कारण है कि ऐसा इलेक्ट्रॉन जिसमें कोणीय संवेग होता है उस कोणीय संवेग के आधार पर उसमें गतिज ऊर्जा। Energy) भी होती है। यह गतिज ऊर्जा ‘1’ पर निर्भर करती है किन्तु यह ऊर्जा कुल सम्भव ऊर्जा (Allowed Energy) होती है जो n के मान द्वारा ज्ञात की जा सकती है। इसलिये । का मान n पर निर्भर करता है।
से कम
(स) चुम्बकीय क्वान्टम संख्या [ ( Magnetic Quantum Number (m)] –
जीमैन ने सन् 1896 में यह पाया कि जब कोई सोत्र (Source) (जिसमें से स्पेक्ट्रल रेखायें उत्सर्जित हो रही हो) किसी प्रबल चुम्बकीय क्षेत्र में रखी जाती है तो प्रत्येक स्पेक्ट्रल रेखा असंख्य रेखाओं में विभाजित हो जाती है।
इस प्रकरण को जीमैन प्रभाव (Zeeman Effect) कहते हैं। इस प्रेक्षण (Observation) से उन्होंने यह अभिग्रहित (Postulate) किया कि इलेक्ट्रॉन जिससे मूल रेखा (Original Line) उत्पन्न हुयी हो, चुम्बकीय क्षेत्र में एक ही क्वान्टम संख्या ‘1′ के लिये कई सम्भावित अभिविन्यास (Orientations) दर्शाता है।
किसी इलेक्ट्रॉन के लिये ऊर्जा सम्बन्धी के पश्चात्, सम्भावित अभिविन्यास, (Possible Orientations) चुम्बकीय क्वान्टम संख्या (जिसे 1921 में लैण्डे (Lande) ने प्रतिपादित किया था) द्वारा दर्शाये जाते हैं। इस संख्या को ‘m’ द्वारा प्रदर्शित किया जाता है तथा यह कक्षक के अभिविन्यास को दर्शाती है।
दिये गये ऊर्जा उपस्तर पर ये इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर एक विशिष्ट क्षेत्र में अभिविन्यस्त होते हैं। इन क्षेत्रों को कक्षक (Orbital) कहा जाता है । दिये गये उपस्तर में, मुख्य ऊर्जा स्तर (Principal Energy Level) के अन्दर जितनी कक्षकों (Orbitals) की संख्या होती है, इसे ‘m’ द्वारा दर्शाया जा सकता है, इस संख्या को चुम्बकीय क्वान्टम संख्या (Magnetic Quantum Number) कहते हैं। इसके सम्भावित मान -1 से 0 तथा फिर +1 तक अथवा इसका कुल मान (21 + 1) हो सकता है।
quantum numbers chemistry 100% useful
वे परमाणवीय कक्षक (Atomic Orbitals) जिनमें समान ऊर्जा उपस्थित होती है उनको अपभ्रष्ट कक्षक (Degenerate Orbitals) कहते हैं। इस प्रकार से प्रत्येक ‘1’ के मान के लिये अपभ्रष्ट कक्षकों की संख्या (21+1) होती है, क्योंकि बाह्य चुम्बकीय तथा विद्युत क्षेत्र के ना होने पर m के मान भिन्न होते हैं किन्तु n तथा 1 के समान मानों की ऊर्जा एक समान होती है। कक्षकों की वह संख्या जिसकी ऊर्जा समान हो, ऊर्जा स्तरों की अपभ्रष्टता (Degeneracy) कहलाती हैं ।
इस प्रकार से यदि 1=0 (s-उपकोश) है तो ‘m’ का मान केवल ‘0’ होगा। इससे यह संकेत मिलता है कि s-उपकोश में केवल एक कक्षक उपस्थित होता है। जिसे s-कक्षक कहते हैं। (अंतराल में इलेक्ट्रॉन का केवल एक सम्भावित अभिविन्यास होता है)। यह कथन सत्य है क्योंकि s-कक्षक वृताकार होती है तथा इसका अभिविन्यास सममित (Symmetrical) होता है।
quantum numbers chemistry 100% useful
यदि 1 = 1 है (अर्थात उपकोश p है) तो m के तीन मान हो सकते हैं (m=-1, 0, +1)। इस प्रकार से p-उपकोश के तीन कक्षक हो सकते हैं, अर्थात इसके तीन अभिविन्यास हो सकते हैं। क्योंकि तीनों कक्षकों के लिये n तथा 1 के मान एक समान होते हैं इसके कारण इनकी ऊर्जा भी एक समान होती है अर्थात तीनों कक्षक अपभृष्ट (Degenerated) होते हैं। तीनों p-कक्षक परस्पर लम्बवत् होते हैं ।
यदि 1 = 2 है (अर्थात उपकोश d हैं) तो m के मान 5 हो सकते हैं। (m=-2, −1, 0, +1, + 2); इसका अर्थ है कि d उपकोश में 5 कक्षक हो सकते हैं जिनके अभिविन्यास भिन्न होते हैं। 1 = 3 के लिये (अर्थात् उपकोश f) के लिये ‘m’ के मान सात हो सकते हैं। (−3,–2, −1, 0, + 1, +2, +3) तथा इलेक्ट्रॉन के सात अभिविन्यास हो सकते हैं ।
निम्न सारणी से यह भी स्पष्ट होता है कि इलेक्ट्रॉन की अधिकतम संख्या s-कक्षक में 2, p-कक्षक में 6, d कक्षक में 10 तथा f कक्षक में 14 हो सकती है।
हम यह भी जानते हैं कि जब 1= 0 होता है (s-उपकोश) तो m का केवल एक मान होता है अर्थात् ‘0’ तथा इसका अभिविन्यास भी केवल एक होता है । इस प्रकार से केवल एक ही s-कक्षक उपस्थित होती है। जब 1=1 होता है (p-उपस्तर),m के तीन मान होते हैं। इस प्रकार से p-उपस्तर के केवल तीन सम्भव अभिविन्यास हो सकते हैं तथा इस p-कक्षक को px, py तथा pz द्वारा दर्शाया जा सकता है ।
quantum numbers chemistry 100% useful
जब 1 = 2 (d-उपस्तर), होता है तब m के पाँच मान होते हैं, इस प्रकार से इसमें 5d-कक्षक हो सकते हैं जिनको dxy, dxz, dyz, dz2 तथा dx2-y2 द्वारा दर्शाया जा सकता है तथा यह अभिविन्यास पर निर्भर करता है।
किसी भी कक्षक में दो से अधिक इलेक्ट्रॉन नहीं रह सकते। उदाहरणार्थ- मुख्य कोश के लिये s-उपकोश में उपस्थित दो इलेक्ट्रॉनों को 1s2 द्वारा दर्शाया जा सकता है।
इसी प्रकार से 2p6 यह संकेत करता है कि द्वितीय मुख्य कोश के p-उपकोश में छ:इलेक्ट्रॉन रह सकते हैं। इस प्रकार से CI का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास जिसकी परमाणु संख्या Z = 17 है को 1s2,2s2,2p6,3s2, 3p5 द्वारा दर्शाया जा सकता है तथा Mg के 12 इलेक्ट्रॉनों के वितरण को 1s2, 2s2, 2p6, 3s2, द्वारा दर्शाया जा सकता है अर्थात इसमें दो 1s इलेक्ट्रॉन दो 2s इलेक्ट्रॉन, छ: 2p इलेक्ट्रॉन तथा दो 3s इलेक्ट्रॉन हैं ।,
(ङ) चक्रण क्वान्टम संख्या [(Spin Quantum Number (s)] – यह क्वान्टम संख्या उहल्नबैक तथा गाउड्समैट (Unlenbeck and Goudsmet) ने 1925 में प्रतिपादित की। इस संख्या का यह आधार है कि जब कोई इलेक्ट्रॉन किसी कक्ष में यति करता है तो वह अपने अक्ष (Axis) पर घूर्णन या चकण कर सकता है।
यह चक्रण दक्षिणावर्त (Clockwise) या वामावर्त (Anticlockwise) हो सकता है। यह चक्रण इलेक्ट्रॉन के कोणीय संवेग को बढ़ा देता है तथा ऊर्जा सम्बन्धों को परिवर्तित कर देता है। यह मानते हुये कि चक्रण क्वान्टाइस्ड (Quantized) है ‘s’ के दो सम्भावित मान हो सकते हैं। s = -1/2 या +1/2, यह इस पर निर्भर करता है कि इलेक्ट्रॉन की दिशा क्या है। इस प्रकार से चक्रण क्वान्टम संख्या के दो सम्भावित मान हो सकते हैं, s = +1/2 तथा_s=-1/2 (1 के प्रत्येक मान के लिये) ।
quantum numbers chemistry 100% useful
क्वान्टम संख्याओं को निर्दिष्ट करने के लिये तथा कक्षकों, उपस्तरों एवं मुख्य स्तरों को भरने के लिये नियम-
(अ) 1 क्वान्टम संख्या के प्रत्येक मुख्य स्तर में उपकोशों की कुल संख्या n होती है।
(ब) द्वितीयक क्वान्टम संख्या 1 के प्रत्येक उपस्तर (Sub-Level) में कुल कक्षकों की संख्या (21+1) होती है।
(स) प्रत्येक कक्षक में विपरीत चक्रण वाले केवल दो इलेक्ट्रॉन रह सकते हैं।
उदाहरण के लिये, n = 2 वाले मुख्य स्तर के लिये दो उपस्तर होते हैं (1 = 0 तथा 1 = 1) । इनमें से पहले उपस्तर में एक कक्षक होता है (m = 0) जिसमें विपरीत चक्रण वाले केवल दो इलेक्ट्रॉन रह सकते हैं ।
(s = 1/2 तथा s = – 1/2)। द्वितीय उपस्तर के लिये जिसमें 1 = 1 होता है, उसमें तीन कक्षक होते हैं (m = 0, 1, – 1) जिसमें प्रत्येक कक्षक में दो इलेक्ट्रॉनों का युग्म होता है ( 11 ) . n = 2 स्तर की क्षमता, उसके दो उपस्तरों के योग के तुल्य होती है अर्थात यह 2 + (2×3) = 8 इलेक्ट्रॉनों के तुल्य होती है।
इसी प्रकार से n = 3 तथा 1 = 1 वाले उपस्तर के लिये तीन कक्षक होते हैं (m = 0, 1, – 1) जिसमें से प्रत्येक में विपरीत चक्रण वाले दो इलेक्ट्रॉन रह सकते हैं। अतः उपस्तर की क्षमता 2+2+2 या 2×3 = 6 इलेक्ट्रॉन होती है।
→ चारों क्वान्टम संख्याओं को निर्दिष्ट (Specify) करने पर किसी भी परमाणु में स्थित इलेक्ट्रॉन के विषय में जान सकते हैं। दूसरे शब्दों में चारों क्वान्टम संख्यायें मुख्य ऊर्जा स्तर में प्रत्येक इलेक्ट्रॉन की स्थिति के विषय में बता सकती । ये संख्यायें विशिष्ट उपस्तर (I), उपस्तर (m) में उपस्थित इलेक्ट्रॉन तथा उसके चक्रण की दिशा के विषय में भी बता सकती हैं।