Chemistry Crux: Master NEET Chemistry

Gay Lussac Gas Law 1787 Genius Real-Life Adventures!

Gay Lussac Gas Law 1787 Genius Real-Life Adventures!गैसों के आयतन पर ताप का प्रभाव सर्वप्रथम चार्ल्स ने सन् 1787 में प्रेक्षित किया था। उसने यह प्रेक्षित किया कि यदि दाब स्थिर रखा जाये तो ताप की प्रत्येक 1°C बढ़ोतरी के लिये 0°C ताप पर गैस अपने मूल आयतन (Original Volume) से 1/273 विस्तारित (Expand) हो जाती है 

Gay Lussac Gas Law 1787 Genius Real-Life Adventures!

|इसी ताप पर प्रत्येक 1°C कम होने पर अपने मूल आयतन से 1/273 द्वारा संकुचित (Contract) हो जाती है। गे-लुसेक ने सन् 1802 में चार्ल्स के नियम को सहमति दी तथा यह बताया कि सभी गैसो के लिये, ताप की प्रत्येक 1°C बढ़ोतरी पर, आयतन में वृद्धि अपने प्रारम्भिक मान या मूल मान की 1/273.15 होती है।

यदि 0°C ताप पर गैस का आयतन V० है तथा किसी अन्य ताप t°C पर गैस का आयतन v है तो
V =

Gay Lussac Gas Law
…1 Gay Lussac Gas Law

Gay Lussac Gas Law 1787 Genius Real-Life Adventures!


अब हम ताप के नये पैमाने (New Temperature Scale) को इस प्रकार से परिभाषित कर सकते है कि किसी भी ताप t का मान निम्न रुप से हो जाये
T = 273•15 + t तथा 0°C पर To = 273-15
इस प्रकार से उपरोक्त समीकरण निम्न रुप से हो जायेगी,

Gay Lussac Gas Law
Gay Lussac Gas Law


ताप के इस नये पैमाने को परम ताप (Absolute Temperature) या कैलीवन पैमाना (Kelvin Scale) कहते हैं। इस ताप पैमाने (Temperature Scale) के आधार पर उपरोक्त समीकरण यह सुझाव देती है कि स्थिर दाब पर, गैस की निश्चित मात्रा का आयतन, परम ताप (Absolute Temperature) के अनुक्रमानुपाती होता है। इसको चार्ल्स का नियम या गै-लुसैक का नियम कहते हैं जिसको निम्न रुप से दर्शाया जा सकता है

Gay Lussac Gas Law 1787 Genius Real-Life Adventures!


(V∝ T [ जब दाब (P) स्थिर होता है] …(2)
यदि स्थिर दाब पर, गैस की निश्चित मात्रा का आयतन, परम पैमाने (Absolute scale) पर उससे संगत ताप के विपरीत रखा जाये तो परिणामी वक्रं समभारिक ( Isobar) कहलाता है ।
यह एक सीधी रेखा में होता है । सेन्टीग्रेड पैमाने पर इस ताप का मान -273• 166°C होता है।

[परम शून्य (Absolute Zero) वह ताप होता है जहाँ पर गैस का आयतन सैद्धान्तिक (Theoretical) रूप से शून्य होता है (गैस किसी प्रकार के आयतन को नही घेरती है) ]
वास्तविक रुप में सभी गैसें – 273.166°C ताप पर पहले द्रवित (Liquefy) हो जाती है तथा बाद में ठोस बन जाती हैं।
इसके अतिरिक्त इस ताप पर अणुओं की ऊर्जा शून्य होती है जिससे आण्विक गति रुक जाती है। सभी गैसे परम ताप पर पहुँचने से पहले ही गैसीय अवस्था को त्याग देती हैं। चार्ल्स के नियम को निम्न रुप से भी परिभाषित किया जा सकता है।

Gay Lussac Gas Law 1787 Genius Real-Life Adventures!


” constant volume पर किसी gas की निश्चित मात्रा के लिये pressure, परम ताप के अनुक्रमानुपाती होता है।”
शून्य से नीचे का तापक्रम स्वीकारणीय नहीं है (A temperature lower than zero is inconceivable) ।ताप का वह नया पैमाना जिसकी निम्नतम सीमा (Lower Limit) परम शून्य के रुप में हो, ताप का परम पैमाना (Absolute Scale of Temperature) कहलाता है।
परम पैमाने का 0°C ताप – 273° के तुल्य होता है जबकि 0°C, 273K के तुल्य होता है । 25°C, 273 + 25 = 298K के तुल्य होता है। सामान्यतः कोई भी ताप 1°C, (273 + t°)K के तुल्य होता है ।

ch4 molecular mass, molecular mass of water & co2 molecular mass right now

BSc Chemistry

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top